छात्र और मार्क्सवादी राजनेता तक- सीताराम येचुरी

 

1984 सिख दंगे: जगदीश टाइटलर के खिलाफ सुनवाई आज

ज्ञानवापी केस पर वाराणसी कोर्ट में सुनवाई आज

लालू यादव और तेजस्वी से जुड़े लैंड फॉर जॉब केस में दिल्ली में आज सुनवाई

दिल्ली शराब घोटालाः अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट आज सुनाएगा फैसला

दिल्ली: ग्रेटर कैलाश में फायरिंग, जिम से आ रहे शख्स पर गोलीबारी

चेन्नई के कई इलाकों में बिजली गुल, मनाली सबस्टेशन में हुई है गड़बड़ी

आरजी कर अस्पताल मामले में TMC विधायक सुदीप्त रॉय के घर और नर्सिंग होम पर CBI का छापा

छत्तीसगढ़: बलौदा बाजार में एक ही परिवार के 4 लोगों की निर्मम हत्या

कोलकाता रेप एंड मर्डर: बंगाल राज्यपाल बोले- मैं सीएम ममता का सामाजिक बहिष्कार करूंगा

न्याय के लिए पद भी छोड़ने को तैयार: डॉक्टर्स के मीटिंग में नहीं आने पर बोलीं सीएम ममता

दिल्ली Rau's कोचिंग हादसा: हाईकोर्ट ने CBI से जलभराव का कारण बताने को कहा

J-K: श्रीनगर में पुलिसवाले की हत्या, अज्ञात लोगों ने मारी गोली

 छत्तीसगढ़: सरकारी कॉलेजों के चिकित्सा शिक्षकों की सैलरी बढ़ाने का फैसला

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 15 से 17 सितंबर तक गुजरात दौरे पर रहेंगे

सीताराम येचुरी की बॉडी AIIMS को डोनेट, निधन के बाद परिवार का फैसला

TMC से राज्यसभा सांसद जवाहर सरकार ने दिया इस्तीफा

शेयर बाजार में तेजी, Sensex पहली बार 83 हजार के पार पहुंचा

NGT के आदेश पर SC की रोक, गणपति विसर्जन के लिए 30 से ज्यादा लोगों को जाने पर लगाया था प्रतिबंधित

असम: डिब्रूगढ़ के मोरन क्षेत्र में मिले 2 बोतल ग्रेनेड, पुलिस-सुरक्षाबलों ने चलाया सर्च ऑपरेशन.

उत्तराखंड में भारी बारिश का रेड अलर्ट, बागेश्वर-चंपावत समेत 9 जिलों में स्कूलों की छुट्टी.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार रात भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के दिल्ली स्थित आवास पर आयोजित गणेश पूजा में भाग लिया, जिस पर छिड़ा विवाद. 

अमेरिका में नवंबर में होने जा रहे राष्ट्रपति चुनाव से पहले डेमोक्रेटिक पार्टी की प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार कमला हैरिस से दूसरा प्रेसिडेंशियल डिबेट करने की संभावना से डोनाल्ड ट्रंप ने इनकार किया है.दो दिन पहले ही पेनसल्वेनिया के फिलाडेल्फिया में दोनों के बीच पहली प्रेसिडेंशियल डिबेट हुई थी.ट्रंप ने कहा कि वो इस डिबेट में साफ़ तौर पर जीत गए थे इसलिए कमला फिर से डिबेट कराना चाहती हैं.हालांकि मंगलवार को हुए डिबेट के तुरंत बाद कराए गए कई पोल्स में संकेत मिलता है कि वोटरों को लगा कि अपने रिपब्लिकन प्रदिद्वंद्वी के सामने हैरिस ने बेहतर प्रदर्शन किया था.ट्रंप ने कहा कि इसकी बजाय, हैरिस को उप राष्ट्रपति के तौर पर अपने काम पर ध्यान देना चाहिए.नॉर्थ कैरोलाइना में एक चुनावी प्रचार रैली के कुछ देर बाद ही हैरिस ने कहा था कि वोटरों के लिए उन पर एक और डिबेट की ज़िम्मेदारी है.जनता से ली गई राय में दिखता है कि दोनों ही उम्मीदवारों के बीच काफ़ी कम अंतर है.मंगलवार को एबीसी न्यूज़ पर हुए 90 मिनट के डिबेट के बाद दोनों ही उम्मीदवारों ने अपनी जीत के दावे किए, जिसमें हैरिस ने अपने सवालों से ट्रंप को रक्षात्मक होने पर मजबूर किया था.

सीताराम येचुरी के निधन के बाद कम्युनिष्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी) का नया महासचिव कौन होगा, इसकी चर्चा शुरू हो गई है. 1964 में स्थापित सीपीएम के इतिहास में यह पहली बार है, जब पद पर रहते हुए उसके किसी महासचिव का निधन हुआ है. कहा जा रहा है कि पार्टी के सामने एक चुनौती चुनाव की प्रक्रिया को लेकर भी है.014 में लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद प्रकाश करात के इस्तीफे की सुगबुगाहट तेज हो गई थी. 2015 में पार्टी के केंद्रीय समिति की बैठक में उनका इस्तीफा भी स्वीकार कर लिया गया. इसके बाद नए महासचिव को लेकर चर्चा शुरू हुई.प्रकाश करात और उनके समर्थक कद्दावर वाम नेता रामचंद्रन पिल्लई को महासचिव बनाना चाहते थे, लेकिन पार्टी के भीतर इसको लेकर रायशुमारी नहीं हो पाई. आखिर वक्त में पिल्लई ने अपना दावा वापस ले लिया.इसके बाद सीपीएम ने नए महासचिव के लिए सीताराम येचुरी का नाम बढ़ाया. येचुरी के नाम पर सर्वसम्मति दी गई और वे महासचिव चुन लिए गए.आधी सदी तक कम्युनिस्ट रहने के बावजूद सीताराम येचुरी के बारे में कुछ भी सिद्धांतवादी या हठधर्मी नहीं था. उन्होंने 1975 में कम्युनिस्ट पार्टी जॉइन की. इसी साल देश में इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी की घोषणा और येचुरी को जेल जाना पड़ा.वहां से शुरू हुआ सियासी सफर भारत की कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव बनने तक पहुँचा. वे 2015 से पार्टी की अगुवाई कर रहे थे.सीताराम 1992 से पार्टी के पोलित ब्यूरो के सदस्य थे. कम्युनिस्ट होते हुए भी वो एक सेंटरिस्ट नेता की तरह थे जिन्हें थोड़ा उदारवादी और बीच का रास्ता अपनाने वाला माना जाता था. गुरुवार को 72 वर्ष की आयु में दिल्ली के एम्स अस्पताल एक लंबी बीमारी के बाद उनका निधन हो गया है. . वह एक विद्वान, विचारशील, पढ़े-लिखे, लेखक थे जो लगातार विचारों से जूझते रहते थे.जब 1977 में उन्होंने दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी के छात्र संघ का चुनाव जीता तो कैंपस में काफ़ी उथल-पुथल मची हुई थी. उन दिनों में वो जनरल बॉडी मीटिंग बुलाते और भोर तक चर्चाओं का दौर चलता.एक मंझे हुए स्पीकर की हैसियत से वे अपने सुनने वालों का मूड भांप लेते थे और लगातार ये समझने की कोशिश करते थे कि लोगों को अपने विचारों से सहमत करवाने के लिए उन्हें क्या कहना है.जब येचुरी जेएनयू के छात्र संघ के अध्यक्ष थे, तब सी राजा मोहन महासचिव हुआ करते थे.वह कहते हैं, “वो जटिल मुद्दों को संभालने की काबिलियत रखते थे और बहुत अच्छें संयोजक थे लेकिन सबसे पहले वो एक ऐसे शख़्स थे जो लोगों का दिल जीतना जानते थे. भारत जैसे गरीब और विकासशील देश में उनकी पार्टी कभी भी मुख्यधारा की ताकत नहीं बन पाई. उनकी पार्टी मुख्य रूप से तीन राज्यों केरल, पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा को छोड़कर बाकी राज्यों में सफल नहीं हुई .  येचुरी को केवल समावेशी भारत के लिए प्रतिबद्ध एक प्रमुख वामपंथी नेता के तौर पर ही याद नहीं किया जाएगा.उन्हें इस देश की राष्ट्रीय राजनीति को प्रभावित करने वाले लीडर के तौर पर भी याद किए जाएगा. ख़ास तौर पर बीजेपी का विकल्प गढ़ने के लिए 1989-2014 के बीच बने कई गठबंधनों में उनकी भूमिका थी.दूसरे सियासी दलों से मतभेद के बावजूद अलग-अलग राजनीतिक दलों से दोस्ती करने में माहिर सीताराम येचुरी को कभी-कभी "एक और हरकिशन सिंह सुरजीत" के रूप में जाना जाता था.पंजाब से आने वाले सुरजीत 1992 से 2005 तक सीपीएम के जनरल सेक्रेटरी थे. उनके राजनीतिक कौशल और पर्दे के पीछे के कदमों ने विश्वनाथ प्रताप सिंह को 1989 में कांग्रेस के एक राष्ट्रीय विकल्प के रूप में खड़ा किया था.सुरजीत ने साल 1996 में तीसरे मोर्चे की सरकार को सत्ता में लाने में मदद की और साल 2004 में एक बार फिर भाजपा को सत्ता से दूर रखने में भूमिका निभाई.येचुरी अपने दोस्तों और सहयोगियों के बीच में ''सीता'' नाम से पुकारे जाते थे.सुरजीत की ही तरह इन्होंने भी 1996 में संयुक्त मोर्चा के बनने में अहम भूमिका निभाई थी. साथ ही 2004 में यूपीए गठबंधन और 2023 में बनने वाले इंडिया गठबंधन को तैयार करने में मदद की.सीताराम येचुरी ने साल 1996 और 2004 में यूनाइटेड फ्रंड और यूपीए सरकारों के लिए साझा न्यूनतम कार्यक्रम तैयार करने में मदद की.बाद के सालों में उन्होंने सीपीआई (एम) की उस ''ऐतिहासिक गलती'' की कहानी सुनाई जो साल 1996 में की गई थी.उन्होंने याद दिलाया कि आख़िर कैसे और क्यों पार्टी ने साल 1996 में कैसे भारत का पहला मार्क्सवादी प्रधानमंत्री बनने देने का मौका गंवा दिया.उस दौर में बीजेपी संसद में बहुमत हासिल करने में नाकाम रही थी और संयुक्त मोर्चा के नेता सरकार बनाने के लिए तैयार थे और उन्होंने सीपीआई (एम) नेता ज्योति बसु को प्रधानमंत्री के तौर पर नेतृत्व करने के लिए आमंत्रित किया था.लेकिन पार्टी की शीर्ष केंद्रीय समिति ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया, जिसे बाद में बसु ने एक ''ऐतिहासिक गलती'' के रूप में बताया था.येचुरी उन तीन चौथाई सदस्यों में शामिल थे जिन्होंने इस कदम का विरोध किया था, लेकिन ये पता नहीं है कि उन्होंने बाद के सालों में अपनी राय बदली थी या नहीं.लेकिन वो सुरजीत, ज्योति बसु के साथ कर्नाटक भवन पहुंचे थे, जहां पर संयुक्त मोर्चा के नेता जैसे देवगौड़ा, चंद्रबाबू नायडू, लालू यादव बेचैनी से जवाब का इंतजार कर रहे थे.सीताराम येचुरी ने संसद में भी अपनी छाप छोड़ी. वह 12 सालों तक राज्यसभा में रहे, उन्हें उनके बेहतरीन भाषणों के लिए याद किया जाता है, ऐसे में उन्हें न केवल एक कुशल सांसद के तौर याद किया जाता है, बल्कि बीजेपी के ख़िलाफ़ पार्टियों के बीच फ्लोर पर समन्वय बनाने के लिए भी वो याद किए जाते हैं.उन्हें वो नियम पता थे, जिनके तहत वे मुद्दा उठाए जा सकते थे, जिन्हें वह उठाना चाहते थे.जब उनका दूसरा कार्यकाल ख़त्म हुआ तो अलग-अलग दलों के कई सांसदों ने एकजुट होकर चाहा कि उनकी पार्टी उन्हें फिर से नामित कर दे.पार्टी के एक अनुशासित सिपाही के तौर पर कई बार वह असहमतियों को बावजूद पार्टी के फ़ैसलों के साथ चलते थे.मसलन वे भारत-अमेरिका के बीच परमाणु समझौते के मुद्दे पर मनमोहन सिंह की सरकार से वामपंथी दलों का समर्थन वापस लेने के ख़िलाफ़ थे. ये ऐसा मुद्दा था जिसपर तत्कालीन प्रधानमंत्री अपनी सरकार को ख़तरे में डालने के जोखिम के बावजूद भी आगे बढ़ना चाहते थे.अपने सहयोगी और तत्कालीन सीपीएम महासचिव प्रकाश करात से येचुरी के मतभेद भी जगज़ाहिर थे.करात और येचुरी प्रतिद्वंद्वी होते हुए भी एक-दूसरे के सहयोगी थे. ये दोनों देश की आज़ादी के बाद देखी गई उन कई राजनीतिक जोड़ियों में से एक थे, जिन्होंने भारत को एक तरह से आकार देने में मदद की. जैसे नेहरू-पटेल, और वाजपेयी-आडवाणी या फिर मोदी और शाह की तरह.पहले सोनिया और फिर राहुल गांधी से उनका रिश्ता एक दोस्त और मार्गदर्शक जैसा था. राहुल गांधी ने तो येचुरी के साथ घंटों तक देश के भविष्य के लिहाज से गंभीर मुद्दों पर हुई चर्चाओं को याद भी किया.साल 2004 से लेकर 2014 तक कांग्रेस ने यूपीए सरकार की अगुवाई की और उस दौरान जब भी कांग्रेस और वाम दलों के संबंधों में किसी गतिरोध की आशंका होती, तब सोनिया गांधी येचुरी की ओर मुड़तीं.सीताराम येचुरी को सीपीआईएम के महासचिव पद की ज़िम्मेदारी उस समय सौंपी गईं जब बीजेपी एक ताकतवर प्रधानमंत्री के नेतृत्व में देश पर शासन करने आई थी और देश की राजनीति में बदलाव ला रही थी.ये ऐसा समय था जब सीपीएम प्रासंगिक बने रहने के लिए संघर्ष कर रही थी. लेकिन सीताराम येचुरी तेज़ी से बीजेपी को चुनौती दे सकने वाले सभी राजनीतिक ताकतों को इंडिया गठबंधन के तौर पर एक साझा मंच पर ला रहे थे.येचुरी को भारत में विपक्ष को अहम क्षणों में एकजुट करने में उनकी भूमिका के लिए याद किया जाएगा. हालांकि, उनकी भूमिका पर्दे के पीछे अधिक रही.इसलिए ऐसे समय में जब सीपीएम लंबे समय तक अपना साथ देने वाले कॉमरेड को अंतिम विदाई दे रही है, तब देश भी भारत के इस बेटे को ज़रूर याद करेगा.एक ऐसी शख़्सियत जिसने देश की लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष परंपराओं को बनाए रखने और इस देश के गरीबों को एक नई सुबह देने के लिए काम किया.

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली समेत आस-पास के इलाकों में बारिश का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा। मौसम विभाग के मुताबिक, अगले कुछ दिन ऐसी स्थिति रहने के आसार हैं। मध्य भारत में उत्पन्न दबाव क्षेत्र के कारण अगले दो से तीन दिन उत्तराखंड, दिल्ली के साथ ही उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में भारी बारिश की संभावना है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने बताया कि दबाव का यह क्षेत्र ग्वालियर के पास शहर से लगभग 50 किलोमीटर उत्तर में और आगरा से 60 किलोमीटर दक्षिण-दक्षिणपूर्व में स्थित है। अगले 24 घंटे में इसके उत्तर- उत्तर पूर्वी दिशा की ओर बढ़ने की संभावना है। इसका मतलब साफ है कि कल यानी शुक्रवार को भी दिल्ली-एनसीआर, यूपी, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड में जमकर बरसात का पूर्वानुमान है।आईएमडी ने कहा कि उत्तराखंड में आज से 14 सितंबर तक हल्की से मध्यम बारिश के आसार हैं। इसके साथ ही कुछ स्थानों पर भारी से अत्यधिक भारी वर्षा हो सकती है। हरियाणा और दिल्ली में 15 सितंबर तक हल्की से मध्यम बारिश के साथ किसी समय भारी बारिश भी होने की संभावना है। इस अवधि के दौरान पूर्वी और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भारी से अत्यधिक भारी बरसात हो सकती है। मध्यप्रदेश में 13 सितंबर को भारी बारिश का पूर्वानुमान है, इसके बाद अगले कुछ दिन मध्यम से भारी बारिश हो सकती है। पश्चिमी राजस्थान में 13 सितंबर को भारी वर्षा हो सकती है। पूर्वी राजस्थान में आज और कल भारी से बहुत भारी बारिश के आसार हैं। विभाग के अनुसार 64.5 मिलीमीटर से 115.5 मिलीमीटर (मिमी) के बीच वर्षा को भारी बारिश माना जाता है जबकि 115.6 मिमी से 204.4 मिमी के बीच बारिश को बहुत भारी और 204.5 मिमी से अधिक वर्षा को अत्यंत भारी बारिश माना जाता है।



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