कोरोना वायरस रोग महामारी पर अंकुश के लिए क्यों है ज़रूरी तम्बाकू उन्मूलन
कोरोना वायरस रोग महामारी पर अंकुश के लिए क्यों है जरूरी तम्बाकू उन्मूलन?
भारत समेत जो देश इस समय कोरोना वायरस रोग (कोविड-19) महामारी से जूझ रहे हैं, उनके वैज्ञानिक शोध आंकड़ों से यह स्पष्ट है कि जो लोग अधिक आयु के हैं और जिन्हें गैर-संक्रामक रोग हैं, उन्हें कोविड-19 के गंभीर लक्षण हो सकते हैं और मृत्यु होने की सम्भावना भी अधिक है। विश्व में गैर-संक्रामक रोग के कारण 70% मृत्यु होती है। हृदय रोग, पक्षाघात, कैंसर, मधुमेह, दीर्घकालिक श्वास रोग, आदि प्रमुख गैर-संक्रामक रोग हैं। इन सभी गैर-संक्रामक रोगों का खतरा अत्याधिक बढ़ाता है - तम्बाकू सेवन। किसी भी प्रकार के तम्बाकू सेवन करने से, जानलेवा गैर संक्रामक रोग का खतरा मंडराने लगता है और कोविड-19 होने पर भी परिणाम घातक हो सकते हैं।
विश्व में तम्बाकू सेवन से प्रति वर्ष 80 लाख से अधिक लोग मृत होते हैं। भारत में हर साल तम्बाकू से मृत होने वालों की संख्या 10 लाख है। 1 लाख लोग भारत में सिर्फ परोक्ष धूम्रपान से मृत होते हैं। तम्बाकू महामारी तो मानव-जनित आपदा है।
तम्बाकू और कोविड-19 दोनों महामारी हैं परन्तु वर्तमान में, पूर्णत: बचाव सिर्फ एक से मुमकिन है, तम्बाकू उन्मूलन। कोविड-19 से बचाव के लिए अभी वैक्सीन शोध आरंभ ही हुआ है और 1-1.5 साल तो कम-से-कम लगेगा ही कि एक प्रभावकारी वैक्सीन शोध के जरिये मिल सके (यदि मिली तो)।
इसीलिए इंडोनेशिया के 42 संगठनों ने राष्ट्रपति जोको विदोदो से अपील की है कि, विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा प्रमाणित जीवनरक्षक तम्बाकू नियंत्रण नीतियों को सख्ती से लागू करें, और बिना विलम्ब, वैश्विक तम्बाकू नियंत्रण संधि को पारित करें (इस संधि को विश्व स्वास्थ्य संगठन फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन टुबैको कण्ट्रोल कहते हैं)। प्रभावकारी तम्बाकू नियंत्रण से न केवल गैर-संक्रामक रोगों के दर में कमी आएगी बल्कि कोविड-19 के भयंकर परिणाम से भी जनता बच सकेगी।
इंडोनेशिया के राष्ट्रपति से जन-स्वास्थ्य अपील करने वाले 42 संगठनों में शामिल हैं: हृदय रोग और पक्षाघात विशेषज्ञ संगठन, श्वास सम्बन्धी रोग विशेषज्ञ संगठन, बाल विकास संगठन, कृषि संगठन, ग्राहक अधिकार चेतना संगठन, पत्रकार संगठन, तम्बाकू नियंत्रण और जन स्वास्थ्य पर कार्यरत संगठन, आदि।
इंटरनेशनल यूनियन अगेंस्ट ट्यूबरक्लोसिस एंड लंग डिजीज (द यूनियन) के एशिया पसिफ़िक क्षेत्र के सह-निदेशक डॉ तारा सिंह बाम ने कहा कि दुनिया भर से आ रहे कोविड-19 से जुड़े वर्तमान शोध के अनुसार,जो लोग तम्बाकू धूम्रपान करते हैं, उन्हें कोविड-19 रोग के गंभीर लक्षण होने का, और कोविड-19 से मृत होने का, खतरा अधिक है। कोविड-19 जो वैश्विक जन-स्वास्थ्य आपदा है, उसपर अंकुश लगाने के लिए यह जरूरी है कि सरकारें बिना-विलम्ब सख्ती से तम्बाकू नियंत्रण लागू करें और तम्बाकू उन्मूलन की ओर अग्रसर हों।
सीएनएस की संस्थापिका और लोरेटो कान्वेंट की पूर्व वरिष्ठ शिक्षिका शोभा शुक्ला ने कहा कि विश्व में सरकारें कोविड-19 पर काबू पाने के लिए जूझ रही हैं परन्तु तम्बाकू पर तो पूर्ण-विराम मुमकिन है। अनावश्यक रोग और असामयिक मृत्यु के लिए जिम्मेदार है तम्बाकू और कोविड-19 के भीषण परिणाम का खतरा भी बढ़ा सकता है।
इंडोनेशिया में तम्बाकू जनित गैर-संक्रामक रोग, कोविड-19 से पूर्व भी सबसे बड़े असामयिक मृत्यु के जनक रहे हैं, और कैंसर, पक्षाघात, दीर्घकालिक गुर्दा रोग, मधुमेह (डायबिटीज), उच्च रक्तचाप, आदि, इस देश में मृत्यु के सबसे बड़े कारण हैं। दुनिया में सबसे अधिक तम्बाकू धूम्रपान करने वाले देशों में से एक है इंडोनेशिया (63% पुरुष तम्बाकू व्यसनी हैं)।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के कोविड-19 संबधित चीन दौरे की रिपोर्ट के अनुसार, कोविड-19 की मृत्यु उन लोगों में अधिक पायी गयी जिन्हें पहले से गैर-संक्रामक रोग थे। इटली के राष्ट्रीय स्वास्थ्य शोध संस्थान के अनुसार, कोविड-19 से मृत होने वालों में से 99% को प्रारंभिक अवस्था की कोई न कोई गैर-संक्रामक बीमारी थी जैसे कि, हृदय रोग, मधुमेह (डायबिटीज), उच्च रक्तचाप, दीर्घकालिक श्वास रोग या कैंसर। प्रारंभिक शोध से यह भी पता चल रहा है कि टीबी या तपेदिक होने पर भी कोविड-19 के भीषण परिणाम हो सकते हैं। गैर-संक्रामक रोग और टीबी दोनों का ही खतरा तम्बाकू सेवन से बढ़ता है।
द लांसेट (विश्व में प्रतिष्ठित चिकित्सकीय शोध जर्नल) में प्रकाशित शोधपत्र के अनुसार, चीन में जो लोग तम्बाकू धूम्रपान करते थे, उनको कोविड-19 से संक्रमित होने का 14 गुणा अधिक खतरा था और इस संक्रमण के परिणाम भी खतरनाक हो सकते थे। चीन में हुए एक और शोध के अनुसार, जिन लोगों को कोविड-19 हुआ, उनमें से 58% पुरुष थे। इंडोनेशिया के राष्ट्रपति को अपील भेजने वाले विशेषज्ञों ने कहा कि इसका कारण यह हो सकता है कि चीन में तम्बाकू धूम्रपान महिलाओं की तुलना में पुरुषों में अधिक है। न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ़ मेडिसिन में प्रकाशित शोध के अनुसार, तम्बाकू धूम्रपान करने वालों में, कोविड-19 के भीषण लक्षण और परिणाम होने का खतरा 2.4 गुणा अधिक है। कोविड-19 से जुड़े तमाम शोध के अनुसार यही निष्कर्ष निकलता है कि तम्बाकू व्यसनियों में कोविड-19 होने पर, उसके लक्षण और परिणाम अत्याधिक गंभीर हो सकते हैं, जैसे कि, सघन देखरेख इकाई (इंटेंसिव केयर यूनिट) की आवश्यकता पड़ना, वेंटीलेटर की ज़रूरत पड़ जाना और मृत्यु हो जाना।
भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुसार, कोविड-19 से होने वाली मृत्यु में से 86% को कोई न कोई गैर-संक्रामक रोग था जैसे कि, मधुमेह (डायबिटीज), दीर्घकालिक गुर्दा रोग, उच्च रक्तचाप और हृदय रोग। इन सभी रोगों का खतरा बढ़ाने वालों में शामिल है तम्बाकू सेवन। इन्हीं कोविड-19 से जुड़े भारतीय आंकड़ों को अध्यन करें तो कोरोना वायरस से संक्रमित होने वालों में से 76% पुरुष थे और जिनकी कोविड-19 से मृत्यु हुई उनमें से 73% पुरुष थे। भारत में पुरुषों में 3 गुणा अधिक तम्बाकू सेवन प्रचलित है (भारत में पुरुष में तम्बाकू सेवन 42.4% और महिलाओं में तम्बाकू सेवन 14.2% है)।
इंडोनेशिया के विशेषज्ञों ने राष्ट्रपति से यह मांग की कि:
- जनता को हर संचार माध्यम से आगाह करें कि तम्बाकू सेवन और वेपिंग (ई-सिगरेट आदि) से कोविड-19 का खतरा बढ़ता है, इसलिए किसी भी प्रकार के तम्बाकू सेवन से बचें और कोविड-19 से भी बचें।
- कोविड-19 के दस्तावेज़ में हर रोगी के तम्बाकू सेवन सम्बंधित जानकारी दर्ज हो।
- टीबी और गैर-संक्रामक रोगों के इलाज सम्बन्धी ज़रूरी दवाएं और सेवाएँ बाधित न हों।
- तम्बाकू नशा त्यागने के लिए एक हेल्पलाइन सुचारू रूप से चालू की जाए जिसकी सहायता से तम्बाकू व्यसनी नशा मुक्त हो सकें।
- हुक्का, ई-सिगरेट और चबाने वाले तम्बाकू उत्पाद आदि पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगे।
- सभी सार्वजनिक स्थान, कार्यस्थल और जन यातायात, 100% तम्बाकू धूम्रपान-रहित घोषित हों, जिससे कि कोई भी परोक्ष धूम्रपान के जानलेवा परिणाम न झेले (जिनमें गैर संक्रामक रोग और कोविड-19 भी शामिल हैं)।
- तम्बाकू उद्योग से किसी भी प्रकार का अनुदान न लिया जाए और उद्योग की भ्रामक बातों को ख़ारिज किया जाए।
- बिना विलम्ब, वैश्विक तम्बाकू नियंत्रण संधि को इंडोनेशिया पारित करें (इस संधि को विश्व स्वास्थ्य संगठन फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन टुबैको कण्ट्रोल कहते हैं)।
जिन देशों में तम्बाकू महामारी एक चुनौती बना हुआ है उनकी सरकारों के लिए भी उपरोक्त सुझाव कारगर हो सकते हैं, न सिर्फ कोविड-19 के परिप्रेक्ष्य में बल्कि जन स्वास्थ्य सुरक्षा और सतत विकास के लिए भी यह अत्यावश्यक हैं।
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