एनआरसी की आख़िरी लिस्ट जारी

 


लिस्ट में 19,06,657 का नाम शामिल नहीं हैं. लिस्ट में कुल 3,11,21,004 लोगों को शामिल किया गया है.


राज्य के एनआरसी अध्यक्ष प्रतीक हजेला के मुताबिक़ जिन लोगों का नाम लिस्ट में शामिल नहीं है वो ज़रूरी काग़जात जमा कर पाने में असफल रहे.


केंद्र सरकार और असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने असम के लोगों को भरोसा दिलाया है कि लिस्ट में नाम न होने पर किसी भी व्यक्ति को हिरासत में नहीं लिया जाएगा और उसे अपनी नागरिकता साबित करने का हरसंभव मौका दिया जाएगा. जिनका नाम लिस्ट में नहीं होगा वो फ़ॉरेनर्स ट्राइब्यूनल में अपील कर सकेंगे.




सरकार ने अपील दायर करने की समय सीमा भी 60 से बढ़ाकर 120 दिन कर दी है.राज्य के कई इलाकों को संवेदनीशल घोषित किया गया है और सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए गए हैं. 



एनआरसी को असम में रह रहे भारतीय नागरिकों की एक लिस्ट के तौर पर समझ सकते हैं. ये प्रक्रिया दरअसल राज्य में अवैध तरीक़े से घुस आए तथाकथित बंगलादेशियों के ख़िलाफ़ असम में हुए छह साल लंबे जनांदोलन का नतीजा है. इस जन आंदोलन के बाद असम समझौते पर दस्तख़त हुए थे और साल 1986 में सिटिज़नशिप ऐक्ट में संशोधन कर उसमें असम के लिए विशेष प्रावधान बनया गया.


असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटिजेंस (एनआरसी) को सबसे पहले 1951 में बनाया गया था ताकि ये तय किया जा सके कि कौन इस राज्य में पैदा हुआ है और भारतीय है और कौन पड़ोसी मुस्लिम बहुल बांग्लादेश से आया हुआ हो सकता है. इस रजिस्टर को पहली बार अपडेट किया जा रहा है. इसमें उन लोगों को भारतीय नागरिक के तौर पर स्वीकार किया जाना है जो ये साबित कर पाएं कि वे 24 मार्च 1971 से पहले से राज्य में रह रहे हैं. ये वो तारीख है जिस दिन बांग्लादेश ने पाकिस्तान से अलग होकर अपनी आज़ादी की घोषणा की थी. भारत सरकार का कहना है कि राज्य में ग़ैर क़ानूनी रूप से रह रहे लोगों को चिह्नित करने के लिए ये रजिस्टर ज़रूरी है.


30 जुलाई 2018 में सरकार ने एक फ़ाइनल ड्राफ़्ट प्रकाशित किया था जिसमें तकरीबन 41 लाख लोगों का नाम नहीं थे, जो असम में रह रहे हैं. इसमें बंगाली लोग हैं, जिनमें हिंदू और मुस्लिम दोनों शामिल हैं. फिर इसी साल की 26 जून को प्रकाशित हुई एक नई अतिरिक्त लिस्ट में तक़रीबन एक लाख नए नामों को सूची से बाहर किया गया. इसके बाद सरकार ने लोगों को एक मौका और दिया. इसके लिए उन्हें अपनी 'लेगेसी' और 'लिंकेज' को साबित करने वाले काग़ज़ एनआरसी के दफ्तर में जमा करने थे.


इन काग़ज़ों में 1951 की एनआरसी में आया उनका नाम, 1971 तक की वोटिंग लिस्ट में आए नाम, ज़मीन के काग़ज़, स्कूल और यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के सबूत, जन्म प्रमाण पत्र और माता-पिता के वोटर कार्ड, राशन कार्ड, एलआईसी पॉलिसी, पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस, रेफ़्यूजी रजिस्ट्रेशन सर्टिफ़िकेट जैसी चीज़ें शामिल हैं.


NRC र्मे नाम ना आने से कोई विदेशी नागरिक घोषित नहीं हो जाता.


जिनके नाम शामिल नहीं हैं, उन्हें इसके बाद फ़ॉरेन ट्रायब्यूनल या एफटी के सामने काग़ज़ों के साथ पेश होना होगा, जिसके लिए उन्हें 120 दिन का समय दिया गया है. किसी के भारतीय नागरिक होने या न होने का निर्णय फ़ॉरेन ट्राइब्यूनल ही करेगी. इस निर्णय से असंतुष्ट होने पर हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट जाने का विकल्प मौजूद है. 


असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) की एक अतिरिक्त सूची को प्रकाशित कर दी गई है, जो सार्वजनिक रूप से आधिकारिक वेबसाइट nrcassam.nic.in पर देखी जा सकती है। साथ ही NRC Assam Additional Draft List आधिकारिक वेबसाइट www.assam.gov.in, www.nrcassam.nic.in, www.assam.mygov.in पर भी देखी जा सकती है।


 


जाएगा।



अयोग्य लोगों को 'अतिरिक्त सूची में शामिल नहीं किया गया' के रूप में उजागर किया जाएगा, जबकि अन्य लोगों के नाम ऑनलाइन सूची में समान रहेंगे। NRC ड्राफ्ट सूची असम से विदेशी नागरिकों को निकालने की विस्तृत प्रक्रिया से जुड़ी है जो 2014 में शुरू हुई थी। पत्र में कहा गया है कि अतिरिक्त सूची में शामिल प्रत्येक व्यक्ति को अतिरिक्त सूची में उसके/उसकी शामिल होने के कारणों के बारे में जानकारी के एक पत्र के माध्यम से सूचित करना होगा, जिसमें उस निपटान अधिकारी का विवरण जिसके समक्ष दावा दायर किया जाना है और सुनवाई की तारीख, समय और स्थान सहित सुनवाई आयोजित की गई है।


भारत के राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए कहा था कि भाषाई, सांस्कृतिक और सामाजिक पहचान की रक्षा करते हुए नागरिकता अधिनियम में संशोधन करने का प्रयास किया जाएगा। उन्होंने 17वीं लोकसभा के गठन के बाद अपने पारंपरिक वक्तव्य में कहा था कि 'मेरी सरकार ने घुसपैठ से प्रभावित क्षेत्रों में प्राथमिकता के आधार पर नागरिकों के राष्ट्रीय रजिस्टर की प्रक्रिया को लागू करने का फैसला किया है।"


 राज्य में हाई अलर्ट
लोगों में भय का माहौल देखते हुए पूरे राज्य को हाई अलर्ट पर रखा गया है, लेकिन लोगों को डरने की जरूरत नहीं है। केंद्र सरकार ने पहले ही साफ कर दिया है कि जो लोग अपनी नागरिकता खो देंगे उन्हें डिटेंशन सेंटर नहीं भेजा जाएगा। 


शांती बनाए रखने की अपील
असम के सीएम सर्वानंद सोनेवाल ने एनआरसी की अंतिम सूची जारी होने से पहले यहां के लोगों से शांती बनाए रखने की अपील की। उन्होंने कहा 'मैं आप सभी से असम में शांति और धीरज बनाए रखने की अपील करता हूं। जब तक अपील करने का समय है तब तक किसी को विदेशी नहीं माना जाएगा। राज्य सरकार कानूनी समर्थन का विस्तार करेगी।' सरकार इन लोगों की परेशानियों पर ध्यान देगी और यह देखेगी कि उनका किसी तरह का उत्पीड़न न हो। 


किसी को भी डरने की जरूरत नहीं: केंद्र
गृह मंत्रालय ने लोगों से अपील की है कि एनआरसी की अंतिम सूची आने से जुड़ी किसी भी प्रकार की अफवाह पर विश्वास न करें। मंत्रालय ने साफ किया है कि किसी व्यक्ति का लिस्ट में नाम शामिल नहीं होने का मतलब यह नहीं है कि उसे विदेशी घोषित कर दिया गया है। मंत्रालय ने बताया कि अंतिम लिस्ट से बाहर रह गए सभी लोग विदेशी ट्रिब्यूनल में अपील कर सकते हैं। विदेशी ट्रिब्यूनल की संख्या बढ़ाई जा रही है।


राज्य में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था
पुलिस अधिकारियों के मुताबिक ने पूरे असम में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है। राज्य के संवेदनशील इलाकों में धारा 144 लगा दी गई है। 14 जिलों को संवेदनशील घोषित किया गया है। इस दौरान केंद्रीय सुरक्षाबलों की 55 कंपनियों को जम्मू कश्मीर से वापस बुला लिया गया है। इन्हें पिछले महीने जम्मू कश्मीर भेजा गया था। इन्हें राज्य के अलग-अलग इलाकों में सुरक्षा के मद्देनजर लगाया गया है।


सुप्रीम कोर्ट ने अंतिम प्रकाशन की समयसीमा बढ़ाई थी
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने एनआरसी के अंतिम प्रकाशन की समयसीमा को 31 जुलाई से बढ़ाकर 31 अगस्त कर दिया था। इस दौरान सैंपल वेरिफिकेशन के लिए एनआरसी की समयसीमा बढ़ाने की याचिका को खारिज कर दिया गया था।


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