भाजपा के राज में गंगा को बचाने को लेकर क्यों कर रहे साधू अनशन?
भाजपा के राज में गंगा को बचाने को लेकर क्यों कर रहे साधू अनशन ?
गंगा को बचाने के लिए इस दशक में चार साधू - स्वामी निगमानंद, स्वामी गोकुलानंद, बाबा नागनाथ, स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद - शहीद हो चुके हैं, एक संत गोपाल दास अनशन करते हुए लापता हो गए व 26 वर्षीय केरल निवासी ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद के अनशन के सौ दिन पूरे हो रहे हैं। केन्द्र सरकार ने गंगा के मुद्दे पर संघर्षरत इन साधुओं को नजरअंदाज करने की रणनीति अपनाई हुई है।
35 वर्षीय स्वामी निगमानंद 2011 में गंगा में अवैध खनन के खिलाफ अनशन करते हुए हरिद्वार के एक अस्पताल में 115वें दिन चल बसे। जिस आश्रम से वे जुड़े हुए थे, हरिद्वार के मातृ सदन, का आरोप है कि उत्त्राखण्ड की तत्कालीन भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने उन्हें एक खनन माफिया के दबाव में जहर देकर मरवाया। मातृ सदन का अवैध खनन के खिलाफ पहला अनशन 1998 में हुआ था जिसमें निगमानंद के साथ स्वामी गोकुलानंद बैठे थे। 2003 में गोकुलानंद की नैनीताल के बामनेश्वर मंदिर में अज्ञातवास में रहते हुए खनन माफिया द्वारा हत्या कर दी गई। 2014 में बाबा नागनाथ की वाराणसी में मणिकर्णिका घाट पर गंगा को अविरल व निर्मल बहने देने की मांग को लेकर अनशन के 114वें दिन मौत हो गई। ज्ञान स्वरूप सानंद पहले भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर में प्रोफेसर जी.डी. अग्रवाल के नाम से जाने जाते थे। 2018 में 112 दिन अनशन करने के बाद उनकी मौत आखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, ऋषिकेश में हो गई जहां उन्हें मातृ सदन से उठा कर एक दिन पहले लाया गया था। स्वामी सानंद के जिन्दा रहते ही आश्रम प्रमुख स्वामी शिवानंद ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लोगों को बता दिया था कि यदि स्वामी सानंद को कुछ हुआ तो वे और उनके अनुयायी अनशन पर बैठ उनकी तपस्या जारी रखेंगे। मातृ सदन के 26 वर्षीय ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद 24 अक्टूबर, 2018 से आमरण अनशन पर बैठे हुए हैं। आज उनका 102वां दिन है।
सरकार ने नमामि गंगे नामक रु. 20,000 करोड़ की परियोजना शुरू की हुई है जिसका आधे से ज्यादा पैसा रु. 11,176.81 करोड़ 117.87 करोड़ लीटर प्रति दिन सीवेज साफ करने की क्षमता वाले ट्रीटमेण्ट संयंत्र बनाने में खर्च होने वाला है किंतु सीवेज या शहरों से निकलने वाला गंदा पानी 290 करोड़ लीटर प्रति दिन है। जब तक हम तय क्षमता तैयार करेंगे तब तक सीवेज की मात्रा कई गुणा बढ़ चुकी होगी। अतः हम गंगा में गिरने वाले गंदे पानी को साफ करने की क्षमता के आस-पास भी नहीं हैं। अब कई लोग मानने लगे हें कि गंदे पानी का निस्तारण बिना नदी में डाले कैसे हो यह सोचना पड़ेगा। नदी यदि बहती रहे तो उसके अंदर खुद को साफ करने की क्षमता होती ही है जिस मांग को लेकर प्रोफेसर जी.डी. अग्रवाल ने अनशन किया और अपनी जान दी लेकिन जो बात नितिन गडकरी का मंजूर नहीं थी क्यांकि वे बांध बनाने पर रोक लगाने को तैयार नहीं हैं।
यदि भाजपा की सरकार अपने किए वायदे के अनुसार गंगा को साफ करती तो भारत में रहने वाले 10 में से 4 व्यक्तियों को सीधा लाभ पहुंचता। लेकिन वह चुनाव आते ही अयोध्या में राम मंदिर की बात कर रही है जिसके बनने पर किसी का जीवन निर्भर नहीं है और शबरीमाला में तो वह सर्वोच्च न्यायालय के विरूद्ध जाकर बच्चे जनने की उम्र वाली महिलाओं के मंदिर प्रवेश का विरोध कर रही है। अच्छा होता यदि वह प्रतिगामी भूमिका लेने के बजाए जनहित वाला काम करती।
रा.स्वं.सं.-भाजपा ने स्पष्ट कर दिया है कि यदि उसे धर्म और पूंजीवादी विकास में चुनना हो तो वह किसे चुनेंगे। लेकिन यह बात नरेन्द्र मोदी के खिलाफ जा रही है। तुलसीदास ने रामचरितमानस में कहा है कि ’मुनि तापस जिन्ह तें दुःखु लहहीं। ते नरेश बिनु पावक दहहीं।।’ इसे इत्तेफाक ही कहा जाएगा कि जबसे स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद और अब ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद आमरण अनशन पर बैठे है भाजपा और नरेन्द्र मोदी समस्याओं से घिर गए हैं।
संदीप पाण्डेय, 0522 2355978, गौरव सिंह, 8052592238
लोक राजनीति मंच व युवा शक्ति संगठन
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